सांसद दुष्यंत सिंह ने झालावाड़ संसदीय क्षेत्र में वर्ष 2006-08 के दौरान निरस्त किए गए अफीम के पट्टों को बहाल करने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा है कि एनडीपीएस एक्ट में कृषक एवं तस्करों के लिए अलग अलग प्रावधान होने चाहिये।
नई दिल्ली में आज केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री संतोष गंगवार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में उन्होंने क्षेत्र के अफीम उत्पादक किसानों की भरपूर पैरवी की।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2006-07 व 2007-08 के दौरान अतिवृष्टि के कारण 60 से 65 प्रतिशत तक अफीम की फसल खराब हुई थी। ऐसी स्थिति में प्रशासनिक रिपोर्टों को वैध ना मानते हुए नारकोटिक्स विभाग ने बहुत बड़ी संख्या में कृषकों के पट्टे समाप्त कर दिये थे। नई अफीम नीति में ऐसे किसानों को छूट देते हुए पट्टे बहाल किए जाएं। इसके अलावा प्रत्येक उस कृषक को 10-10 आरी के लाइसेंस दिए जाएं जो अफीम की काश्त करना चाहता है। उन्होंने कहा कि पांच लाईसेंस से कम वाले राजस्व ग्रामों के काश्तकारों को वापस उन्हीं के ग्रामों में लाईसेंस दिया जाना उचित होगा।
सांसद ने कहा कि प्राकृतिक प्रकोप से नुकसान के कारण हांकने की स्थिति में 5 हजार रूपए प्रति 10 आरी का मुआवजा मिलना चाहिए। उन्होंने अफीम की फसल को भी मौसम बीमा से जोड़ने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि बेसी काश्त (निर्धारित क्षेत्रफल से कम या ज्यादा) की स्थिति में जांच कराकर अधिक क्षेत्रफल की अफीम की फसल नष्ट करा दी जाए। पहली बार चेतावनी का प्रावधान हो, पट्टे निरस्त नहीं किये जाएं।
उन्होंने कहा कि एनडीपीएस एक्ट में तस्कर एवं कृषक के लिए अलग अलग कानूनी प्रावधान हों, ताकि निर्दोष किसानों को सजा से बचाया जा सके। बैठक में चित्तौड़ सांसद सीपी जोशी सहित अन्य अफीम उतपादक क्षेत्रों से आए सांसदों एवं नारकोटिक्स अधिकारियों ने भाग लिया।
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